Monday 18 September 2017

निराकार का अंश।

साकार तू है
तो क्या हुआ।
निराकार का तू अंश है।।
निर्भीक बन
तू आगे बढ़।
चाहे सामने तेरे
क्यों ना कोई कंस है।।
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द्वंद है, विध्वंश है
संकट में जो धर्म है।
तब मन में लिए प्रश्न तू,
अर्जुन नही
कृष्णा का तू अंश है
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Friday 15 September 2017

संसार का संचालक कौन???

हम सभी में से लगभग सारे लोग यह मानते हैं कि ईश्वर इस संसार का संचालक है। ऐसा मानने के साथ ही ये विचार भी अनायास ही आता है कि जब ईश्वर इस संसार को चलाता है तो फिर इस संसार में इतनी बुराई क्यों है?
इस प्रश्न का उत्तर मुझे एक जानकार व्यक्ति से प्राप्त हुआ। उन्होंने समझाया की ईश्वर इस संसार का संचालन नहीं करता। अपितु ईश्वर द्वारा प्रकृति का निर्माण किया गया। जिसे लोग प्रायः माया के नाम से भी जानते है, और उसी माया या प्रकृति के द्वारा इस सम्पूर्ण संसार का संचालन होता है। और सभी प्राणी प्रकृति के नियमों से वाद्य है और कर्मानुसार परिणाम को प्राप्त होते है। अतः ईश्वर को किसी भी घटना या दुर्घटना के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता।
उनकी बात को अगर मैं आज के परिपेक्ष् में समझाने की कोशिश करुं तो यह कहना गलत न होगा कि ईश्वर ने प्रकृति या माया नाम के software का निर्माण किया है। जोकि प्राणियों के कर्मो के इनपुट को स्वीकार्य करता हूं तथा उन्ही कर्मों के आधार पर ही परिणाम का आउटपुट देता है। इस सॉफ्टवेयर के भी कुछ निष्चित सिद्धांत है जिनसे यह नहीं हटता।
अतः जैसा प्राणी सॉफ्टवेयर में इनपुट देता है वैसा ही आउटपुट पाने को बाध्य होता है। अब प्रश्न यह उठता हौ की जब सब कर्मों पर आधारित है तो ईश्वर की उपासना से क्या लाभ है?
इस प्रश्न के उत्तर के लिए अगली पोस्ट का इंतजार करें और मेरे इस ब्लॉग को सब्सक्राइब करें। इस पोस्ट को अंग्रेजी में भी ट्रांसलेट करने की में कोशिश करूंगा।
नमस्कार । आपका जीवन मंगलमय हो और ईश्वर की कृपा सभी पर बनी रहे।

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धन्यवाद

You suffer more, when you are angry..

What did I learn today, I will tell you in short. I was listening to Sadguru, and he was explaining about the implications of anger.. ...