जब सिकंदर की मृत्यु हुई तो उसने मरने से पहले ये कह रखा था कि जब उसकी शवयात्रा निकाली जाय तो उसके हाथ ताबूत से बाहर निकाल दिए जाएं। ताकि लोग ये देख सकें कि सिकंदर भी अपने साथ कुछ ना ले जा सका।
ऐसी कई बातें हम धार्मिक गुरुओं से सुनते है तथा धार्मिक पुस्तकों में पढ़ते हैं। लेकिन क्या कुछ ऐसा है जो हम मृत्यु के बाद भी साथ ले जा सकें?
मेरा उत्तर है हाँ। एक चीज है जो हमारे साथ जाती है हर स्थिति में वो है आध्यात्मिक प्रगति। हम अपने जीवन में ऐसे कई लोगों को देखते हैं तथा उनके किस्से भी सुनते जिन्होंने जीवन मे शून्य से शुरू करके अपार प्रगति की तथा अपार सफलता अर्जित की किन्तु जब उनका अंतिम समय आया तो कुछ भी उनके साथ ना गया। किन्तु आध्यात्मिक स्तर पर हम जो भी अर्जित करते है वह सदैव हमारे साथ रहता है। और मृत्यु के बाद भी हमारे साथ ही जाता है, और यह भी निर्धारित करता है कि अगले जन्म में हमारा जीवन किस ओर और किस प्रकार प्रगति करेगा।
ओशो अपने एक भाषण में कहते हैं कि भगवान बुद्ध कोई एक जीवन में बुद्ध नहीं बने थे। वो अपने पिछले कई जीवन के आध्यात्मिक प्रयासों और उनके परिणामों का योग के बाद बने संयोग का परिणाम थे।
किन्तु भगवान बुद्ध या किसी भी ऐसी महान आत्मा जिसका साक्षात्कार परम सत्य से हो चुका हो, के बारे में कोई बड़ी बात कहना मेरी क्षमता के बाहर है। परंतु में यह अवश्य कह सकता हूँ कि आध्यात्मिक प्रगति हमारे साथ रहती है तथा हमारे जीवन का मार्ग प्रसस्त करती है।
अतः हम सभी को भौतिक सुख साधन जुटाने के साथ ही आध्यात्म के लिए समय अवश्य निकालना चाहिए।
अंततः यही हमारी आत्मा का परम उद्देश्य है।
नमस्कार। ॐ शांति ॐ
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अग्रिम मैं। धन्यवाद।
ओशो अपने एक भाषण में कहते हैं कि भगवान बुद्ध कोई एक जीवन में बुद्ध नहीं बने थे। वो अपने पिछले कई जीवन के आध्यात्मिक प्रयासों और उनके परिणामों का योग के बाद बने संयोग का परिणाम थे।
किन्तु भगवान बुद्ध या किसी भी ऐसी महान आत्मा जिसका साक्षात्कार परम सत्य से हो चुका हो, के बारे में कोई बड़ी बात कहना मेरी क्षमता के बाहर है। परंतु में यह अवश्य कह सकता हूँ कि आध्यात्मिक प्रगति हमारे साथ रहती है तथा हमारे जीवन का मार्ग प्रसस्त करती है।
अतः हम सभी को भौतिक सुख साधन जुटाने के साथ ही आध्यात्म के लिए समय अवश्य निकालना चाहिए।
अंततः यही हमारी आत्मा का परम उद्देश्य है।
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