Monday 27 May 2019

कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता••••

निदा फ़ाज़ली जी ने बहुत अच्छी पंक्तियाँ लिखीं थीं,
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     कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता
       कहीं जमीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता ।।
और हमारे मन की सारी परेशानियों की एक ही वजह है, कि हमें सब कुछ चाहिये, पूरा पूरा। कुछ भी कम नहीं, कोई कमीं नहीं। और हम सबको पता है कि हमें क्या मिलता है। और दूसरा सोने पे सुहागा ये है कि पूरा पाने की चाहत भी होती है लेकिन उसके लिये पूरा प्रयास नहीं करना होता। दूसरे व्यक्ति से तुलना करेंगे तो ये कि उसको क्या मिला या उसके पास क्या है, लेकिन ये तुलना नहीं होती कि अन्य व्यक्ति ने पाने के लिये क्या खोया या फिर उसने कितना प्रयास किया।

किन्तु, बात प्रयास करने या ना करने की नहीं करने की नहीं है। बात है यह जानने की कि पूरा नहीं मिलेगा, पहली बात और दूसरी बात ये कि क्यों नहीं मिलेगा? इसका कारण।
कारण को आप दो प्रकार से समझ सकते हैं।
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पहला ये कि प्रकृती का सिद्धान्त है की चीजें हमेंशा संतुलन में रहेंगी ही रहेंगीं। प्रकृती आपको सबकुछ देकर कभी एक ही छोर पे कर के असन्तुलन पैदा नहीं होने दे सकती। आप को कुछ पाने के लिये एक छोर पर कुछ बजन रखना होगा तभी उसके बराबर आपको दूसरे छोर पर मिलेगा और प्रकृति का तराजू सन्तुलित रहेगा।
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दूसरा न्यूटन के तीसरे सिद्धांत के अनुसार, क्रिया के बराबर ही प्रतिक्रिया होती है। अर्थात् आप जो चाह रहे हैं, उसे पाने के लिये जरूरी परिश्रम करेंगे तो आपको वो जरूर मिलेगा। और आप झट से कह सकते हैं कि फिर तो मुकम्मल जहाँ मिल गया। ना। आपने पाने के लिये कई त्याग किये तब मिला।
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एक कहावत एक दम सटीक बैठती है कि हर चीज की एक कीमत होती है, अगर आप उसे चुका सकते हैं तो वो आपको मिलेगी। वरना चाहने की कोई अलग से कोई कीमत नहीं होती, उसकी कीमत आप व्याकुल, चिंतित और दुखी होकर चुकाते रहते हैं रोज, जब तक आप विवेकानंद जी के बचन, (ऊत्तिष्ठत, जाग्रत, प्राप्य बारान्निबोधत अर्थात उठो, जागो और ध्येय की प्राप्ति तक प्रयास करते रहो) के अनुसार चलने का संकल्प नहीं लेते।

मैं अपनी बात को यहाँ विराम देता हूँ और आप सभी पाठको का हृदय से धन्यवाद करते हुए आप सभी के लिये मंगल कामना करता हूँ। आप सभी से निवेदन हैं कृपया करके मेरे ब्लॉग को यहाँ क्लिक् करके subscribe करें। आप अपने विचार और प्रश्न कमेंट कर सकते है। और आपसे विनती है कि इसे अप्ने मित्रों के साथ साझा करें। आपकी अति कृपा होगी।
धन्यवाद।

You suffer more, when you are angry..

What did I learn today, I will tell you in short. I was listening to Sadguru, and he was explaining about the implications of anger.. ...