आज कल सभी को शान्ती की खोज है। प्रत्येक व्यक्ति शान्ती के लिए कहीं ना कहीं भागता ही रहता है, लेकिन मिल नहीं पाती। इसी संदर्भ में मै एक कविता कटाक्ष के रूप में प्रस्तुत कर रहा हूँ, यदि पसंद आये तो अपना स्नेह अवश्य दिखाएं।
तुम्हारे मन में चोर है,
इसलिए तुम्हारे दिमाग में शोर है।
उस चोर को छिपाने के लिए,
दूसरों मे ढूढते रहते हो कमिया।
और जब रात को नींद नहीं आती,
तो कहते हो शहर में शोर है।
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पहले रिश्तों को बेमाने किया,
जब रिस्तेदार नहीं दिखे,
तो कहा रिश्तों में खोट है।
या तो दिखानी है अपनी रहीसी,
या देखना है रहीसों को।
अब जब सख्सियत नहीं,
सब का ध्यान पैसे की ओर है।
तो कहते हो,
मतलबी लोग हैं।
और जब नींद नहीं आती,
तो कहते हो शहर में शोर है।
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ईंट और पत्थर से बनते हैं मकान,
ये सबको पता है।
और आपने भी बनाया,
ऊपर वाले की दया है।
लेकिन जब मकान को घर नहीं बना पाये,
तो इसमें किसकी खता है?
अब जब रात को नींद नहीं आती,
इन चार दीवारों में,
तो कहते हो शहर में शोर है।
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स्वामी मोहित 🙂
स्पष्टीकरण: ये कविता किसी व्यक्ति बिशेष के लिए नहीं, वल्कि माया के जाल में फसे बिचलित मन को लेकर लिखी है। इसे व्यक्तिगत रूप से ना लें। कृपया इसे शेयर करके मुझे अनुगृहित करें। आप ब्लॉग को subscribe भी कर सकते हैं। धन्यवाद।
Wah 👏👏👏👏👏👏👌
ReplyDeleteBhut bdia bhai
ReplyDeleteWah..
ReplyDeleteBahut khoob
ReplyDeleteBHT Bdia 👏👏👏👏
ReplyDeleteBhut khoob wah wah 👌👏
ReplyDeleteबहुत सुंदर....
ReplyDeleteबहुत सुंदर मुक्तक..
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteNice one
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